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12 साल बाद फिर शुरू हुआ केदारनाथ का पुराना पैदल मार्ग: अब सिर्फ 16 KM में करें दर्शन

केदारनाथ धाम की यात्रा होगी आसान: 12 साल बाद फिर शुरू हुआ पुराना पैदल मार्ग, अब केवल 16 KM चलना होगा

केदारनाथ धाम की तीर्थ यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। 2013 में आई भीषण आपदा के कारण क्षतिग्रस्त हुआ केदारनाथ का पुराना पैदल मार्ग अब एक बार फिर से यात्रियों के लिए खोल दिया गया है। इस रास्ते के फिर से तैयार हो जाने के बाद अब श्रद्धालुओं को 21 किलोमीटर की बजाय केवल 16 किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी।

रामबाड़ा से गरुड़ चट्टी तक फिर से जुड़ा सफर

केदारनाथ यात्रा के पुराने मार्ग की बात करें तो यह रामबाड़ा से शुरू होकर गरुड़ चट्टी होते हुए केदारनाथ धाम तक जाता था। आपदा के बाद यह मार्ग पूरी तरह बर्बाद हो गया था और इस पर चलना असंभव हो गया था। लेकिन अब इस मार्ग को पीएम नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के अंतर्गत दोबारा पुनर्निर्मित किया गया है। रामबाड़ा से गरुड़ चट्टी तक करीब 6 किलोमीटर का यह हिस्सा अब पूरी तरह से तैयार हो चुका है।

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2013 की त्रासदी के निशान आज भी मौजूद

यह रास्ता न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण रहा है, बल्कि यह ऐतिहासिक महत्व भी रखता है। गरुड़ चट्टी वह स्थान है जहां पहले बड़ी संख्या में साधु-संत और तीर्थ यात्री विश्राम किया करते थे। 2013 की त्रासदी के बाद यह रास्ता सुनसान हो गया था और उसके कई हिस्से बह गए थे। आज भी इस मार्ग पर आपदा के पुराने निशान स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं।

अब यात्रियों की पसंद बन रहा है यह मार्ग

हाल ही में इस पुराने मार्ग पर फिर से यात्रियों का आना-जाना शुरू हो गया है। महाराष्ट्र से आए कुछ तीर्थयात्रियों ने बताया कि यह मार्ग न केवल सुंदर है, बल्कि अन्य रास्तों की तुलना में थकावट भी कम होती है। यह रास्ता पुराने समय की यादों को ताजा कर देता है और श्रद्धालुओं को एक सुखद अनुभव देता है।

लोक निर्माण विभाग ने किया मार्ग का निर्माण

उत्तराखंड लोक निर्माण विभाग द्वारा इस मार्ग का निर्माण किया गया है। विभाग के सचिव पंकज पांडे ने बताया कि जल्द ही इस मार्ग पर नियमित यात्रा भी शुरू कर दी जाएगी। साथ ही इस पैदल मार्ग को और चौड़ा करने की योजना पर भी काम किया जा रहा है। चूंकि यह क्षेत्र केदारनाथ वाइल्डलाइफ सेंक्चुअरी के अंतर्गत आता है, इसलिए इसके लिए वन विभाग से अनुमति ली जा रही है।

प्रशासन तय करेगा मार्ग का उपयोग

पंकज पांडे के अनुसार यह मार्ग वन-वे बनाया जाएगा या दोनों ओर से प्रयोग किया जाएगा, इसका निर्णय जिला प्रशासन द्वारा लिया जाएगा। उनका कहना है कि यह मार्ग अत्यधिक सुरक्षित है और भारी बारिश या प्राकृतिक आपदा की स्थिति में भी उपयोग में लाया जा सकता है।

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श्रद्धालुओं के लिए राहत की बात

इस मार्ग के चालू होने से अब केदारनाथ धाम की यात्रा और भी सुगम हो जाएगी। 21 किलोमीटर की दूरी की बजाय अब केवल 16 किलोमीटर की पदयात्रा में भक्त भगवान केदारनाथ के दर्शन कर सकेंगे। पुराने मार्ग का पुनर्निर्माण न केवल एक तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि यह उन श्रद्धालुओं के लिए भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक भी है, जिन्होंने इस मार्ग से भगवान के दर्शन करने की लालसा पाले रखी थी।

यह नया-पुराना रास्ता अब एक बार फिर भक्तों की आस्था और श्रद्धा का मार्ग बनने को तैयार है। अगर आप भी केदारनाथ यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो यह मार्ग आपके लिए एक सुखद और आध्यात्मिक अनुभव बन सकता है।

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